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विचार और व्यवहार से होता है चरित्र का निर्माण

- Nirjala Gupta ✍️
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति के अपने अपने विचार एवं व्यवहार हैं कोई विनम्र है कोई क्रोधी है प्रत्येक प्रकार के विकारों और गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति का सामंजस्य इस संसार में देखने को मिलता है हम बात कर रहे हैं चरित्र की चरित्र एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है कि वह व्यक्ति वास्तव में कैसा है उसके विचार क्या है विचार की बात करें तो विचार जो आपकी सोच है आपका मन जिन चीजों को ग्रहण करता है और विचार करता है विचार उत्पन्न होते हैं आपके परिवेश से आप के संपर्क में जो लोग हैं उनसे अर्थात आप अगर अच्छे परिवेश में रहते हैं तो आपके विचार सकारात्मक होंगे और अगर आप नकारात्मक परिवेश में वास करते हैं तो आपके विचार भी नकारात्मक होंगे यदि आप किसी अच्छे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आप भी अच्छे विचारधारा वाले व्यक्तियों की श्रेणी में आ जाएंगे अब बात करते हैं व्यवहार की अर्थात व्यवहार जो आपकी शरीर की भाषा है आप जो विचार करते हैं वही आपके व्यवहार में आता है और सभी व्यक्तियों के विचार तथा व्यवहार अलग-अलग होते हैं जो आप सोचते हैं विचार करते हैं उसे व्यक्त करना ही व्यवहार कहलाता है जब विचार और व्यवहार को मिला दिया जाए तो यह एक व्यक्ति के चरित्र को दर्शाता है इसलिए एक श्रेष्ठ चरित्र के निर्माण के लिए अपने विचारों को सकारात्मक बनाएं

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