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जीवन के सच्ची मित्रता का महत्व

सच्ची मित्रता एक ऐसा प्रवित्र बंधन है जिसमें मित्रों के मध्य किसी प्रकार के अवगुण न हो, कोई कहता है जीवन में सर्वोच्च क्या है... कोई बलवान है तो कहेगा- बल सर्वोच्च है, कोई ज्ञानी है तो कहेगा- ज्ञान ही है जो सर्वोच्च है, किसी के पास धन है तो उसके लिए धन ही सर्वोच्च है लेकिन जीवन में कुछ हासिल करना है तो सच्ची मित्रता हासिल करिए, मन प्रसन्न रहेगा। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रारंभ से लेकर अंत तक कई प्रकार के व्यक्ति आते है इस बीच किसी न किसी मोड़ पर आपको कोई न कोई अच्छा व्यक्ति मिलता है। इस लिए ऐसे व्यक्तियों को संभाल कर रखिए क्योंकि अच्छे मित्र बहुत ही कठिनता से मिलते हैं । सुदामा और कृष्ण की मित्रता स्वंय में एक मिसाल रही है जिस प्रकार सुदामा एक गरीब ब्राहम्ण थे उन्होंने श्री कृष्ण के पास जब गए तब श्री कृष्ण ने उनसे अनुकरणीय मुलाकात की जो आज भी कृष्ण सुदामा मिलन के नाम से जाना जाता है।
मित्रता के लिए यह भी ध्यान देना चाहिए कि कही हमसे तो कोई कमी नहीं रह गई है यदि हमसे कोई कमी रह गई तो तुरंत ही सुधार करना जरूरी है वरना एक दिन यह एक खाई में बदल जाएगा क्योंकि दोस्ती में दरार हमेशा एक साईड से नहीं होता है बल्कि दोनो तरफ से होता है इसलिए अपना व्यवहार ऐसा रखें कि वह समान रूप से एवं सम्यक् रूप से दिखाई दें किसी को इतना भी महत्व न दें कि आप उसके बिना रह न सकें या किसी को इतना भी मत जोड़ लें कि उसे अहंकार आ जाए इसलिए सम्यक् भाव से व्यवहार करना चाहिए जिससे कि दोस्ती लंबे समय तक बनी रहे । सच्ची मित्रता के लिए खुद को स्वयं में सिद्ध करना होगा तपना भी पड़ेगा और अपनी मित्रता को बचाना भी होगा। जीवन में यह बात गांठ बांध लिजिए कि आज जो आपका मित्र. है कल निश्चित ही। आपका शत्रु होगा । यह बात औसत । लोगों में फिट होती है लेकिन कई। बार यह पंक्ति याद रखने से सर्तक होने से बचा जा सकता है कि कही। आप मित्रता के नाम पर धोखेबाजी । का शिकार तो नहीं हो रहे हैं। इसलिए भी यह पंक्ति केवल सावधान होने के लिए कही गई है क्योकि मित्रता के नाम में किसी को भी मूर्ख बना सकता है । सच्ची मित्रता में आप किसी से कोई अपेक्षा मत रखिए। क्योंकि अपेक्षा से आपको दुःख होगा। और दुःख के लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं । कोई और इसके लिए जिम्मेदार नहीं है सार्थक सोच । रखने से स्वयं इस बात को समझ सकते हैं इसलिए सोच समझकर ही मित्रता करें अन्यथा आपको बाद में पछताना ही होगा।
याद रखिए जीवन में निस्वार्थ भाव से मित्रता करिए और निभाइए।
-Nirjala Gupta 

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