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Inflation: महंगाई पर काबू पाने के लिए रूस से गेहूं खरीदने की तैयारी में भारत

New Delhi/ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल के आखिर में होने कई राज्यों के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए रूस से सस्ता अनाज खरीदने पर विचार कर रही है। पिछले महीने खाद्य महंगाई की वजह से ही खुदरा महंगाई 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
रूस से गेहूं के आयात के मामले की जानकारी रखने वाले चार अलग-अलग सूत्रों ने दावा किया है कि सरकार रूस की तरफ से किफायती दर पर गेहूं उपलब्ध कराने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है और करीब 90 लाख टन गेहूं का आयात तय माना जा रहा है। सरकार इसके लिए निजी क्षेत्र के कारोबारियों और सरकारी निकायों दोनों से बातचीत कर रही है। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, गेहूं आयात का फैसला काफी विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा, क्योंकि भारत ने बीते कई वर्षों में सरकार के स्तर पर गेहूं का आयात नहीं किया है। इसके अलावा भारत ने आखिरी बार गेहूं का आयात 2017 में किया था, तब कारोबारियों ने करीब 53 लाख टन गेहूं आयात किया था।


40 लाख टन गेहूं की है कमी
देश में अगले वर्ष अप्रैल तक के लिहाज से 40 लाख टन गेहूं की कमी है। इसे देखते हुए सरकार एक-दो सप्ताह के भीतर 90 लाख टन गेहूं आयात पर फैसला कर सकती है। रूस ने गरीब अफ्रीकी देशों को मुफ्त और भारत को किफायती दरों पर गेहूं उपलब्ध कराने की इच्छा जताई है। एक अनुमान के मुताबिक रूस गेहूं पर भारत को 25 से 40 डॉलर प्रति टन की छूट दे सकता है। इस तरह से परिवहन लागत को मिलाकर भी रूसी गेहूं की कीमत भारत के स्थानीय गेहूं से कम पड़ेगी।

दो माह में गेहूं की थोक कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी
पिछले दो महीने में गेहूं की थोक कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अगस्त के पहले सप्ताह में गेहूं की कीमत सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं, 1 अगस्त को सरकार के पास गेहूं का 2.83 करोड़ टन स्टॉक था, जो सालना औसत के लिहाज से 20 फीसदी कम है। पिछले साल, कम उत्पादन के चलते सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल भी गेहूं का उत्पादन अनुमान से 10 फीसदी कम रहने की आशंका है। इसे देखते हुए रूसी गेहूं के आयात की प्रबल संभावना है।

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