बैकुंठपुर/ सिविल लक्ष्य एकेडमी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं विद्यार्थियों ने शिक्षक श्री विनय कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में जनकपुर में स्थित विभिन्न अलौकिक जगहों से हुए परिचित कोरिया जिले में स्थित बैकुंठपुर से 160 किलोमीटर दूर जनकपुर के भावरख गांव के समीप बनास नदी में स्थित रामदह जलप्रपात की अलौकिक सुंदरता का किया अवलोकन और सीतामढ़ी हरचौका में स्थित ज्योतिर्लिंगों की दिव्यता और पौराणिक मूर्तियों से हुए रूबरू बता दे की जनकपुर धाम प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्मावलम्बियों का आस्था का केंद्र रहा है।
जनकपुर सीता माता का जन्म स्थान है। यह मवाई नदी के तट पर स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यहां एक प्राकृतिक गुफा स्थित है।
यहां के पुजारी ने बताया कि भगवान श्री राम जब वनवास के लिए निकले थे तब यहां रुके थे। यहीं से प्रवेश हुआ था। यहां शिलाखंड मौजूद है जिसे लोग भगवान श्री राम के पद चिह्न मान कर पूजा करते है।
हरचौका: मवाई नदी के तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष नाये गए है। जिनमे शिवलिंग स्थापित है। इस स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है।
घाघरा : हरचौका से निकल कर रापा नदी के तट पर सीतामढ़ी घाघरा पहुंचे, माना जाता है। यहाँ नदी तट से करीब 20 फिट ऊपर 4 कक्षो वाली गुफा मौजूद है जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है।
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित रामदाह जलप्रपात घने जंगलों के बीच स्थित है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यह जलप्रपात कोरिया जिले का सबसे खूबसूरत जलप्रपात में से एक है। चट्टानों से टकराते हुए गिरता पानी दूध की तरह दिखाई देता है जो किसी पर्यटक को अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी है। इसके आसपास के घने जंगल इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं।
सफर के दौरान छात्र - छात्राओं में उत्सुकता बनी रही । सफर में शिक्षक श्री विनय गुप्ता, प्रियंका एवं विद्यार्थियों में निर्जला गुप्ता, अनीता राजवाड़े, कविता, शालिनी, गुलाब, रोशनी, मिथलेश शामिल रहे।
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