मौसम विभाग ने बताया कि बीते सप्ताह 20 अक्तूबर को यह चक्रवात तेज अरब सागर में बना, जो 23 अक्तूबर को यमन तट से टकराया था। उसी समय 21 अक्तूबर को बंगाल की खाड़ी में एक और हामून चक्रवात बना जो 24 अक्तूबर को बांग्लादेश तट पर टकराया। आईएमडी का कहना है कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है कि एक साथ दो चक्रवात बने। मौसम विभाग की प्रवक्ता के अनुसार कई उष्णकटिबंधीय चक्रवात उस समय विकसित होते हैं, जब वातावरण में एक कमजोर उथल-पुथल के साथ वातावरण की स्थिति अनुकूल होती है। दूसरे तब बनते हैं, जब अन्य प्रकार के चक्रवात उष्णकटिबंधीय विशेषताओं को प्राप्त कर लेते हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान चक्रवातों की प्रवृत्ति में बदलाव देखा जा रहा है। चक्रवाती तूफानों की तीव्रता में वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग के कारण चक्रवातों के आने की दर और तीव्रता लगातार बढ़ रही है।
1977 में भी बने थे दो चक्रवात
मौसम विभाग के अनुसार 1977 में नवंबर में दो चक्रवात बने थे। एक नौ नवंबर को बना, जिसने आंध्रप्रदेश को प्रभावित किया था। दूसरा चक्रवात 14 नवंबर को बना था, जो तमिलनाडु को प्रभावित करते हुए अरब सागर पहुंचा था और वहां से लौटकर कर्नाटक को प्रभावित किया था। 2018 में अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में एक साथ दो चक्रवात बने, जिन्हें लुबान व तितली नाम दिया गया था। अरब सागर में बने लुबान ने यमन को जबकि बंगाल की खाड़ी में बने तितली ने ओडिशा को प्रभावित किया था।
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