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जल में छुपे है रत्न

-Nirjala Gupta 
सदियों से ही पानी में आलौकिक सुन्दरता एवं रहस्य छुपे हुए है समुद्र की बात करें तो वह किसी पल कु्र तो किसी पल निर्मल सा लगता है समुद्र की विराटता को उल्लेखित कर पाना हमारे बस में नहीं है पर इतना कह सकते है कि वह हमारी सोच से परे है जल एक ऐसा तत्व है जो सारे जीव जन्तुओं को बहूत प्रिय है जल के बिना यह जीवन अचल है पानी का जन्म हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। ये दोनों आपस में मिलकर अपना अस्तित्व समाप्त कर जल के रूप में विद्यमान हो जाते हैं। सर्वप्रथम बूंद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद.गिर्द घूमती रहती है। तद् पश्चात् ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है।
जल की सुंदरता की बात करे तो इसकी सुंदरता को निखारने के लिए बडे़-बड़े जलप्रपातों का बहूत बड़ा योगदान है किसी जलप्रपात को निहारते हुए आप महसूस करेंगे की प्रकृति में इससे सुंदर और क्या हो सकता है कितना सुगम होता है वह दृश्य जब हम उसे निहारते है ऐसा लगता मानों कोई कभी न खत्म होने वाली स्वर्ग लोक से उतरने वाली मोती की धारा हो उसके आस पास चारों ओर हरे पेड़-पौधे जैसे उसके जेवर हो रंग बिरंगे पुष्प उसके वस्त्र के समान लगते है कितना सुंदर होता है वह दृष्य जब हम उसके समीप होते है। जल में स्वाद तो नहीं होता पर उसके बिना जीवन स्वादहीन सा लगता है। 
जल से प्रेम होना स्वाभाविक है क्योंकि झरनों से गिरती वह पत्थरों से टकराती वह कल-कल की आवाज कोई मधूर गीत सुना जाती है 
मन में उठती प्रसन्नता आत्मा को छु जाती है 
अलौकिक है यह जल की विराटता
जल में छुपे है रत्न जो बाजार में बिकने वाले रत्नों से भी कीमती है ।

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