Header Ads Widget

Responsive Advertisement

भारत ने विश्व व्यापार संगठन में अपने फैसले को बताया जायज, कहा- यह प्रतिबंध नहीं विनियम है


New Delhi/भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में दो टूक कहा कि चावल के निर्यात पर लगाई गई रोक को प्रतिबंध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, यह सिर्फ विनियमन है। देश के 1.4 अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम था। यूक्रेन रूस संकट के दौरान भारत ने इस साल 20 जुलाई को घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। कनाडा, अमेरिका समेत कई देशों ने भारत के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाए थे।

विश्व व्यापार संगठन की कृषि मामलों की समिति की जिनेवा में हुई बैठक में अपने कदम को जायज ठहराते हुए भारत ने दोहराया कि यह फैसला खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया। भारत आयातक देशों में उनकी सरकारों के अनुरोध पर जरूर मंदों को छूट देकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह हमारी प्रतिबद्धता है कि खाद्य असुरक्षित, कमजोर देशों और पड़ोसी देशों के अनुरोध के मामले में, उन्हें आवश्यक मात्रा में चावल या गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। 

जरूरतमंद कई देशों को रोक के बावजूद दी निर्यात की अनुमति 
भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को सही साबित करते हुए बताया कि रोक के बावजूद जरूरतमंद देशों को भारत ने पहले ही निर्यात की मंजूरी दी है। इसमें नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लि. (एनसीईएल) के माध्यम से भूटान (79,000 टन), यूएई (75,000 टन), मॉरीशस (14,000 टन) और सिंगापुर (50,000 टन) को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया गया है।

इसलिए डब्ल्यूटीओ को पहले नहीं बताया
भारत ने अचानक रोक लगाने के फैसले के बचाव में तर्क दिया कि वैश्विक हालात को ध्यान में रखते हुए दिग्गजों को बाजार की स्थितियों में हेरफेर करने से रोकने के लिए इस फैसले के बारे में डब्ल्यूटीओ में अग्रिम सूचनाएं नहीं दी गईं। इस बात की आशंका था कि अगर इस बारे में जानकारी पहले मिलेगी तो बड़े आपूर्तिकर्ता स्टॉक दबाकर हेरफेर कर सकते थे। भारत ने बताया कि ये उपाय अस्थायी हैं और घरेलू मांग व आपूर्ति स्थितियों के आधार पर नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है। यह देखा जा रहा है कि आवश्यक समायोजन की अनुमति कब दी जा सकती है।

इन देशों ने रोक पर उठाए थे सवाल
40 फीसदी से अधिक वैश्विक निर्यात के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। भारत के निर्यात पर रोक वाले फैसले को लेकर अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, ब्रिटेन ने दर्जनों सवाल उठाए थे। इन देशों का कहना था कि ऐसे उपायों का उन देशों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है जो इन कृषि वस्तुओं के आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। खासकर संकट के समय में यह अधिक चिंताजनक है। यूक्रेन रूस संघर्ष और अल नीनो जलवायु परिस्थितियों के चलते वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला बुरी तरह ध्वस्त हो गई थी।

जरूरतमंद कई देशों को रोक के बावजूद दी निर्यात की अनुमति 
भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को सही साबित करते हुए बताया कि रोक के बावजूद जरूरतमंद देशों को भारत ने पहले ही निर्यात की मंजूरी दी है। इसमें नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लि. (एनसीईएल) के माध्यम से भूटान (79,000 टन), यूएई (75,000 टन), मॉरीशस (14,000 टन) और सिंगापुर (50,000 टन) को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया गया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ